मध्य प्रदेश में बारिश से बर्बाद सोयाबीन की फसल
पिछले दिनों हुई लगातार बारिश से सोयाबीन की फसल की चौपट हो गई, खेतों में पानी भरने से फसल सड़ने लगी है, मजबूरी में किसान कच्ची सोयाबीन की फसल काट रहा है। यही नहीं किसान समय से बीमा का भुगतान न होने पर आंदोलन करने की चेतावनी भी दे रहे हैं। मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में खराब मौसम को देखते हुए किसान जल्दी से अपनी गीली फसल को निकाल रहे हैं। नागदा के किसान गोपाल कृष्ण कहते हैं, हमारे यहां अतिवृष्टि ने पूरी सोयाबीन की फसल बर्बाद कर दी, सोयाबीन की पूरी फसल गीली हो गई, अब ऐसी ही हम निकाल रहे हैं। कोई फसल देखने नहीं आया, पटवारी आए भी तो एक जगह देखकर चले गए। तीन हजार की दवाई छिड़क दी है, करीबन सात हजार पर बीघा खर्च हो गया है, इसमें 35 किलो सोयाबीन पैदा हुई है, इसे क्या कहेंगे, ऊट में मुंह में जीरा की तरह है, इससे क्या हो पाएगा।
किसानों के लिए पीला सोना कहे जाने वाला सोयाबीन पर इस बार प्रकृति ने ऐसा कहर बरपाया है कि किसान इसकी खेती ही छोड़ने की ही बात कर रहे हैं। मध्य प्रदेश सरकार के अनुसार प्रदेश में अभी तक बारिश के कारण लगभग 60 लाख एकड़ की फसल बर्बाद हो चुकी है। इससे 22 लाख किसानों के लगभग 9 हजार 600 करोड़ रुपए डूब चुके हैं। फाइनल आंकड़े आने अभी बाकी हैं लेकिन इन आंकड़ों से भी बदहाली की अंदाजा लगाया जा सकता है। मध्य प्रदेश सरकार की मानें तो प्रदेश में सोयाबीन की पैदावार प्रति हेक्टयेर 25 कुंतल तक होती है। अब दिनेश पाटिल के हुए नुकसान का एक आकलन करते हैं। उन्होंने 40 एकड़ यानि लगभग 16 हेक्टेयर में सोयाबीन की खेती की जो पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है। सोयाबीन के लिए सरकार ने 3399 रुपए की एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) तय की है।
किसान लखन वर्मा बताते हैं, सौ प्रतिशत फसल का नुकसान है और सरकार अभी भी कह रही है कि सर्वे करवाएंगे, सौ प्रतिशत नुकसान हो गया है अब क्या सर्वे करवाएंगे, मुख्यमंत्री मंदसौर में आए थे और वहां पर कहा था कि 15 तारीख से किसानों के खाते में बीमा की राशि आ जाएगी। हम सरकार को चेतावनी देते हैं कि अगर 15 तारीख तक हमारे खाते में पैसे नहीं आए तो हम उग्र आंदोलन करेंगे।
सरकार के आंकड़ों को ही केंद्र में रखकर देखें तो अगर दिनेश पाटिल की फसल सही होती तो 16 हेक्टेयर में सोयाबीन की कुल पैदावार 400 कुंतल होती जिसे अगर वे सरकारी तय रेट पर बेचते तो उन्हें 13,59,600 रुपए मिलता। इसमें से अगर उनकी लागत (12 हजार रुपए एकड के हिसाब से) 480,000 रुपए निकाल दें तो उन्हें कुल 8,79,600 मुनाफा हो सकता था जो पानी में डूब चुका है। प्रदेश में सबसे ज्यादा नुकसान सोयाबीन की फसल का हुआ है। मध्यप्रदेश में सोयाबीन खरीफ की एक प्रमुख फसल है, जिसकी खेती लगभग 53.00 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में की जाती है। देश में सोयाबीन उत्पादन के क्षेत्र में मध्य प्रदेश का पहला स्थान है, जिसकी हिस्सेदारी 55 से 60 प्रतिशत के बीच है। मध्य प्रदेश के हरदा, इंदौर, छिंदवाड़ा, नरसिंह, सागर, देवास, दमोह, छतरपुर, खंडवा, देवास जैसे जिलों में सोयाबीन की अच्छी खेती होती है।
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हस्तशिल्प और हथकरघा क्षेत्र का विकास चुनौतीपूर्ण
भोपाल। राज्यपाल श्री लालजी टंडन ने कहा है कि तेजी से बदलते वैश्विक दौर में हस्तशिल्प और हथकरघा क्षेत्र के विकास के लिये कार्य करना चुनौतीपूर्ण है। उन्होंने कहा कि भारत की प्राचीन हस्तशिल्प और हथकरघा पद्धति का विकास कर हम रोजगार के ज्यादा से ज्यादा अवसर निर्मित कर सकते हैं। राज्यपाल आज यहाँ हिन्दी भवन में डॉ. बी.आर. अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित त्रि-स्तरीय पंचायती राज प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। राज्यपाल श्री टंडन ने कहा कि पंचायत राज व्यवस्था हमेशा से ग्रामीण विकास की धुरी रही है। हमारे देश के हस्तशिल्प और हथकरघा की दुनियाभर में विशिष्ट पहचान रही है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में मशीनीकरण के दौर ने इन कलाओं के विकास को प्रभावित किया है। प्राचीन दौर में इन कलाओं के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों को उनके गाँव में ही रोजगार के अधिक से अधिक अवसर मिल जाते थे। राज्यपाल ने कहा कि देश की आदिवासी संस्कृति की समृद्धि के लिये निरंतर प्रयास करना भी जरूरी है।
खाद हुई सस्ती
देश में किसानों की सबसे बड़ी खाद बनाने वाली सहकारी समिति इफको ने डाई-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) सहित कई खाद की कीमतों में 50 रुपये की कटौती कर दी है। यह कमी कच्चे माल और वैश्विक कीमतों में हुई कटौती के तहत की गई है। इफको के प्रबंध निदेशक यू एस अवस्थी ने कहा कि कंपनी ने डीएपी के अलावा अन्य खाद की खुदरा कीमतों में कटौती की है। इससे किसानों को फायदा मिलेगा। नई कीमतें 11 अक्तूबर से प्रभावी मानी जाएंगी। इफको ने डीएपी की 50 किलो की बोरी की नई कीमत 1250 रुपये कर दी गई है। पहले इसकी खुदरा कीमत 1300 रुपये थी। इसके अलावा एनपीके-1 कॉम्पलेक्स की कीमत 1250 रुपये से घटाकर के 1200 रुपये कर दी है। वहीं एनपीके-2 की कीमत 1260 रुपये से घटाकर के 1210 रुपये की गई है। कंपनी ने एनपी कॉम्पलेक्स की नई कीमत 950 रुपये कर दी है। वहीं नीम कोटेड युरिया की कीमतों में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया गया है। यह पहले की तरह 266.50 रुपये प्रति 45 किलो बोरी की कीमत पर मिलता रहेगा। इससे पहले इफको ने जुलाई में डीएपी और अन्य खाद की कीमतों में कटौती की थी।